यह पुस्तक पूर्णतया एक शोध पर आधारित है जो पंचायती राज संस्थाओं का अवधारणात्मक, सैद्धान्तिक एवं अनुभवमूलक विवेचन प्रस्तुत करती है साथ ही वंचित वर्गों की ग्राम पंचायतों में भागीदारी को समझाती है। इसमें राजस्थान की ग्रामीण व्यवस्था में वंचित वर्गों का स्थान, वर्तमान सन्दर्भ में जातिवाद तथा छुआछूत की स्थिति एवं वंचित वर्गों के जनप्रतिनिधियों की सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि को विस्तारपूर्वक प्रदर्शित किया गया है। महिला जनप्रतिनिधियों की शिक्षा, जागरूकता, आधुनिकता किस तरह से रूढ़ीवादी मूल्यों का डटकर सामना कर रही है। पुस्तक में ग्रामीण विकास योजनाएं तथा उनका प्रभाव,अन्य सामाजिक संगठनों की ग्रामीण सामाजिक विकास में भूमिका आदि का गंभीरता से अनुभवमूलक विश्लेषण किया गया है।
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