कथा साहित्य की विधा में रूचि के कारण प्रख्यात कथा शिल्पी चित्रा मुद्गल का रचना संसार मेरे लिए आकर्षण का केंद्र रहा है | चित्रा मुद्गल के उपन्यास समसामयिक नवीन सामाजिक विषयों के कारण रोचकता लिए हुए है |
जब मैंने उनसे फ़ोन पर बात की तो उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया | मैंने उनसे कई बार घंटों तक उनकी रचनाओं और उनके जीवन के संघर्ष के विषय में चर्चा की | मेल, फ़ोन से हमारी लगातार वार्ता होती रहती है | वह भी मेरे संघर्ष और लगन से काफी प्रभावित है | उन्होंने मुझे अपनी बेटी की तरह स्नेह एवं प्यार दिया हमारे बीच जो आत्मीयता का अगाढ रिश्ता है, यह सुनने वालो को आश्चर्य लग सकता है पर यह शब्दों के माध्यम से अव्यक्त हैं | स्नेह, वात्सल्य, करुणा, दया, प्रेम, ममता की उस प्रतिमूर्ति से मैं सदैव प्रभावित रही हूँ |
मैंने उनकी रचनाओं को जब पढ़ा तो उसके विषय वैविध्य, मानवीयता की अमिट छाप ने मुझे यह पुस्तक तैयार करने के लिए प्रेरित किया |मेरा यह विश्वास है कि यह पुस्तक चित्रा मुद्गल के समग्र उपन्यासों का सार या उद्देश्य है | यह शोधार्थियों एवं पाठको के लिए अत्यंत ही उपयोगी सिद्ध होगी |
चित्रा जी पर यह पुस्तक तैयार करने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया मेरे गुरु श्री गोविन्द गुरु ’राजकीय’ महाविद्यालय के सह आचार्य डॉ. मनोज पंड्या ने | इसे पूरा करने में मेरा आत्मबल एवं प्रोत्साहन बढाया मेरे पति प्रधानाचार्य श्री विनोद अधिकारी ने | मेरे बेटों आर्यन और दक्ष के प्यार, स्नेह और सहायता के बिना तो यह संभव नहीं हो पाता |
अत्यंत आशा और पूर्ण विश्वास के साथ अब यह पुस्तक में सुधी विद्वानों एवं पाठकों के सामने सविनय प्रस्तुत कर रही हूँ | आपकी प्रतिक्रियाएं एवं सुझाव मेरे लिए लाभदायक होंगे |
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