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ACUPRESSURE DARSHAN

978-1-954461-64-2 FIRST , ,

Meet The Author

मानव शरीर प्रकृति माता एवं ईश्वर का मंदिर है उसे स्वस्थ एवं सुन्दर रखना हमारा पवित्र एवं प्रथम कर्त्तव्य है।
संसार से रोगों को निर्मूल करने या उन्हें कम करने का कार्य पूर्णतः औषधियां अथवा चिकित्सक नहीं कर सकते, लोग स्वयं ही कर सकेंगे। यदि लोग स्वयं स्वस्थ रहने के लिए प्रयन्तशील होंगे, आरोग्य बनाये रखने की पद्धतियां जानकर तदनुसार आहार विहार और आचरण में परिवर्तन करेंगे तभी रोग की उत्पत्ति कम होगी। रोग होने के बाद उन्हें दूर करने के उपायों की योजना बनाने की अपेक्षा रोग होने ही नहीं पाए इस प्रकार के प्रयत्न करने पर ही रोग कम हो सकते हैं, क्योंकि आज रोगियों का पलड़ा नीचा और चिकित्सा तंत्र का पलड़ा ऊंचा की स्थिति सर्वत्र दिखाई देती है। इसलिए आरोग्य के इच्छुकों को स्वयं स्वस्थ रहने की कला एक्युप्रेशर को सीख लेना और सीखकर तदनुसार प्रयोग करना लाभकारी होगा ।
जनसमुदाय को इस दिशा की ओर प्रेरित करने का एक ठोस प्रयास प्रबुद्ध सोसाइटी एक्युप्रेशर को वैकल्पिक पद्धति के रुप में मानकर कर रहा है। एक्युप्रेशर परिषद् सन् 2025 तक सबको स्वास्थ्य के सपना को इस पद्धति द्वारा साकार करने हेतु प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रकाशन, प्रचार का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर कर रही है। देश के विभिन्न प्रांतों में रहने वाले अनेक वर्गों के लोगों ने इस पद्धति के चमत्कारी परिणामों की काफी प्रशंसा की है तथा सैकड़ों एक्युप्रेशर थेरापिस्ट सेवा कर रहे हैं। एक्युप्रेशर एक पद्धति ही नहीं जन आन्दोलन भी है अतः परिषद् से जुड़े सभी पदाधिकारियों, प्रतिनिधियों, प्रेमियों से निवेदन है कि स्वार्थ, लोभ से ऊपर उठकर आप तन-मन-धन से पद्धति के विकास के लिए आगे आये राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को मजबूत बनाएं आपसी भाई चारे को अपनाकर भारतीय एक्युप्रेशर को विश्व क्षितिज पर प्रकाशमान बनाएं जिससे विश्व में फैली अधियारी समाप्त हो सके। भारतीय संस्कृति को प्रकाश में लाने, राष्ट्रीय चेतना जागृत करने का संकल्प एक्युप्रेशर परिषद परिवार ने किया है, क्योंकि यह कोई व्यवसाय नहीं है, एक मिशन-एक जन आन्दोलन है।

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