वृद्धावस्था को मानव जीवन की सर्वाधिक कष्टदाई व निराशाजनक अवस्था के रूप में संबोधित एवं संदर्भित किया जाता है, क्योंकि इस अवस्था में व्यक्ति को अनेक शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक सामाजिक, चिकित्सा व देखभाल संबंधी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परंपरागत समाज में वृद्ध स्वर्णनीम आयु के व्यक्ति माने जाते थे, जो आदर्श सम्मात्त व न्यायिक अधिकार के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते थे। वर्तमान में जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के साथ-साथ विभिन्न परिस्थितियों में भी परिवर्तन हो रहा है। नवीन प्रौद्योगिकी, नगरीकरण, औद्योगिकरण नवीन कानून व्यवस्था, आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण इत्यादि ने परंपरागत भारतीय समाज के स्वरूप में परिवर्तन ला दिया है। जिसके कारण वृद्धों को अपनी उम्र के इस पड़ाव पर पर अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहापि सरकारी व गए सरकारी स्तर पर वृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए अनेक योजनाएं व कार्यक्रम चलाए गए हैं। उदाहरणतः वृद्धावस्था आवास तथा बहूसेवी केंद्रों का निर्माण संबंधी योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, लोक भविष्य निधि खाता योजना, वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना इत्यादि। 2007 में वृद्धजनों की देखभाल, संरक्षण एवं दुर्पयवहार से बचाव के लिए अभिभावकों एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण र कल्याण संबंधी विधेयक भी पारित किया गया। यहां प्रश्न यह उठता है कि क्या वरिष्ठजनों को उन सभी कार्यक्रमों या योजनाओं की जानकारी होती है क्या वरिष्ठजन उम्र के इस पड़ाव अर्थात वृद्धावस्था पर पहुंचने से पहले अपना सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी कुछ नियोजन करते हैं? पृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाली विभिन्न आर्थिक, सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए कुछ लोग वृद्धावस्था तक पहुंचते पहुंचते अनेक योजनाएं व कार्यक्रम बना होते हैं और कुछ नहीं बनाते। कुछ लोग सेवानिवृत्ति से पूर्व ही अनेक प्लान खरीदने हैं. फिक्स डिपॉजिट भी करते हैं। भविष्य में आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े इसके लिए एलआईसी, आईसीसी इत्यादि के विभिन्न प्लान को खरीदन के लिए अपनी आय का कुछ नाग सेवानिवृत्ति पूर्व ही निवेश कर देते हैं। इसी प्रकार भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्या ना उत्पन्न हो इसके लिए भी विभिन्न प्रकार के हेल्थ प्लान भी खरीदते हैं। साथ ही सेवानिवृत्ति पूर्व ही नियमित चिकित्सा परामर्श व पोषण युक्त भोजन होते हैं। कुछ लोगों को स्वास्थ्य व सम्मान पूर्ण वृद्धावस्था के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं के बारे में पूर्ण जानकारी भी होती है और ये इसका लाभ भी उठाते है। भविष्य में परिवार व समाज में उनका मान सम्मान व प्रतिष्ठा बना रहे समाज में रहकर उन्हें कभी अकेलेपन का शिकार न होना पड़े, परिवार में सबके साथ अच्छे से समायोजन कर सके, इसके लिए भी कुछ लोग सेवानिवृत्ति पूर्व ही नियोजन कर होते हैं। परंतु कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति पूर्ण चैतन्य नहीं होते और उनसे निपटने के लिए कोई पूर्व योजना नहीं बनाते।
प्रस्तुत पुस्तक पृद्धावस्था सम्मानपपूर्ण वृद्धावस्था सफल वृद्धावस्था एवं क्रियाशील पृद्धावस्था इन सभी वृद्धावस्था से संबंधित अवधारणाओं के बारे में विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करती है। साथ ही साथ उन नीतियों और योजनाओं की भी व्याख्या करती है जो पृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सरकारी स्तर पर लागू की गई है।
प्रस्तुत पुस्तक कुल सात अध्यायों में विभाजित है। प्रथम अध्याय भारत में वृद्धावस्था अवधारणा एवं आयाम में पृद्धावस्था की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए भारत में पृद्धावस्था के परिप्रेक्ष्य को बताने का प्रयास किया गया है। द्वितीय अध्याय वृद्धावस्था का सैध्दान्तिक परिप्रेक्ष्य जिसके अंतर्गत पृद्धावस्था से संबंधित विभिन्न सिद्धांतों एवं परिप्रेक्ष्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है। तृतीय अध्याय वृद्धावस्था की समस्याएं जिसके अंतर्गत वृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का विवेचन किया गया है। चतुर्थ अध्याय सफल एवं क्रियाशील वृद्धावस्था इस अध्याय के अंतर्गतसफल एवं क्रियाशील वृद्धावस्था की अवधारणा और अर्थ को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है और साथ ही यह भी बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार से हम एक सफल और क्रियाशील पृद्धावस्था को जी सकते हैं। पंचम अध्याय सम्मानपूर्ण पृद्धावस्था चुनौतियां और संभावनाएं में सम्मानपूर्ण वृद्धावस्था की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसके समक्ष उपस्थित चुनौतियी को बताया गया है। छठवें अध्याय वृद्धावस्था से संबंधित नीतियां और योजनाए। के अंतर्गत पृद्धावस्था से संबंधित विभिन्न नीतियों की विवेचना के साथ-साथ सम्मान पूर्ण वृद्धावस्था के लिए सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों की विवेचना भी की गई है। सप्तम अध्याय में सफल एवं सम्मान पूर्ण पृद्धावस्था के लिए वृद्धावस्था के नियोजन की आवश्यकता को स्पष्ट किया गया है।
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