पुस्तक लफ्जों की जुबान उन कविताओं का एक संग्रह है ,जिसे समाज का दर्पण कहा जा सकता है। इस पुस्तक में लेखक ने अपनी नन्हीं सी कलम से अपनी समाज में मनाए जाने वाले त्योहारों -उत्सवों एवं रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। अपने छोटी से मन से अनुभव करके अपने इर्द-गिर्द के पर्यावरण संबंधी अपने विचार प्रकट किए हैं। अपने दोस्तों- मित्रों अध्यापकों एवं पुस्तकों में के बारे में अपने मन के भावों को व्यक्त करके कविता का रूप दिया है। कवि के बाल मन से निकली ये भावनाएँ जो कविता के रूप में इस पुस्तक में सुसज्जित है इनमें अधिकतम शांत रस का प्रयोग किया गया है। यह कविता संग्रह पाठकों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
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