जैसाकि आप सभी बौद्ध अनुयायी इस बात से अवगत होंगे कि एक समय ऐसा था जब बौद्ध उपासकों के धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक नित्य नैमित्तिक कृत्यों को बताने के लिये राष्ट्र भाषा हिंदी में कोई पुस्तक न थी लेकिन आज के समय में कई बौद्ध विद्वानों व बौद्ध भिक्खुओं द्वारा बौद्ध चर्या पर कई पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। फिर हमारे कई बौद्ध अनुयायियों द्वारा इस प्रकार की पुस्तक लिखने का अनुरोध किया गया है जिसमें विशेष रूप से बौद्ध संस्कार कराने में अधिक सहायक हो क्योंकि बौद्ध संस्कारों का बहुत महत्व है और यह महत्व दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी उद्देश्य से ‘बौद्ध चर्या पद्धति की हस्थ पुस्तिका’ नामक लघु पुस्तक लिखी गई है। आशा करता हूं कि यह पुस्तक बौद्ध उपासकों के संस्कार कराने में सहायक सिद्ध होगी।
बोधिसत्व बाबासाहेब ने कहा है कि आपका कर्तव्य है कि आप इस पवित्र धम्म का उत्तम रीति से पालन करने की प्रतिज्ञा करें। शील, समाधि व प्रज्ञा बुद्ध धम्म रूपी तिपाई के तीन आधार हैं। तीनों ही एक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे को सहारा देते हैं और मजबूती प्रदान करते हैं। एक आधार कमजोर होगा तो दूसरे का कमजोर होना स्वाभाविक हैं। ज्ञान ही जीवन का प्रकाश स्तंभ होता है। जिज्ञासा भाव के कारण ही मानव इतना ज्ञान और साधन संपन्न बना है।
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